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Asthma : दमा (अस्थमा ), लक्षण, कारण, सावधानियां और निदान

अस्थमा (Asthma) की स्थिसि में मरीज को सांस लेने में दिक्कत आती है और यह मुख्य रूप से फेफड़ों में होने वाली गंभीर बीमारी है। यह तो आप सब जानते ही हैं। पहले माना जाता था कि एक उम्र के बाद ही दमा लोगों को अपना शिकार बनाता है लेकिन आजकल प्रदूषण और आधुनिक जीवनशैली के कारण अस्थमा (Asthma) के रोगों में बढ़ोतरी होती जा रही है। कई डॉक्टर अस्थमा (Asthma) को कोई बीमारी मानने की बजाय एक स्थिति बताते हैं। आजकल देखा जा रहा है कि अस्थमा (Asthma) लगभग सभी उम्र के लोगों में है। भारत में अस्थमा (Asthma) के मरीज काफी तेजी से बढ़ रहे हैं। कम उम्र के लोग यहां तक कि बच्चों को भी अब यह समस्या अपना शिकार बना रही है।

Asthma : दमा (अस्थमा ),  लक्षण, कारण, सावधानियां और निदान

भारत में अगर आंकड़ों के जरिए समझे तो पूरी दुनिया के 13 फीसदी अस्थमा (Asthma) के रोगी हैं। देश में जागरुकता की कमी की वजह से अस्थमा रोगों की मौतों के मामले में भारत सबसे आगे है। दुनिया भर में अस्थमा (Asthma) से होने वाली 46 फीसदी मौतें अकेले भारत में होता है। भारत में हर साल अस्थमा के कारण अनुमानित 2 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो जाती है। एक रिपोर्ड के मुताबिक जो कि ग्लोबल अस्थमा रिपोर्ट 2022 है। भारत में 3 करोड़ 50 लाख लोगों को अस्थमा है और इस बीमारी के शिकार लोगों को निरंतर सावधानी बरतने की जरुरत है और यहां प्रमुख कारण एक ये माना जाता है कि अस्थमा (Asthma) का समय पर निदान नहीं होता। ज्यादातर जो लोग समय पर इसका इलाज नहीं करा पाते हैं। इलाज न होने की वजह से खतरा ज्यादा बढ़ जाता है। जागरुकता की कमी हमारे देश में अस्थमा (Asthma) को लेकर देखी जाती है। इस लेख में जानेंगे अस्थमा होने का क्या कारण है? क्या लक्षण है? सावधानियां और निदान क्या है?

क्या है दमा (अस्थमा)

अस्थमा (Asthma) एक फेफड़ों की बीमारी है। इसमें हमारी सांस लेने की नलिया, जिनसे हम सांस अंदर लेते है। उसमें स्वेलिंग (सूजन) आ जाती है जिसके कारण सांस लेने का रास्ता छोटा हो जाता है। ये एपिसोडिक होता है, मतलब ये हमेशा नहीं रहता बीच-बीच में कोई भी पोल्यूशन  हुआ, कोई एक्सपोजर हुआ, कोई इंफेक्शन हुआ तो उस समय यह बढ़ जाता है और मरीज़ की सांस की नलिया सिकुड़ने लगती है और सूजन आने लगती है। जिसकी वजह से मरीज को सांस लेने की दिक्कत होने लगती है। इसी को हम कहतें है कि अस्थमा (Asthma) का अटैक आ गया। लेकिन यह दिक्कत बीच-बीच में घटती बढ़ती रहती है।

Asthma : दमा (अस्थमा ),  लक्षण, कारण, सावधानियां और निदान

अस्थमा के लक्षण

अस्थमा के लक्षणों की बात करें तो खांसी और सांस लेने में दिक्कत इसके सामान्य लक्षण होते है। इसमें ज्यादातर बलगम की परेशानी नहीं होता।

अस्थमा के प्रथमिक कारण

अगर देखा जाए तो अस्थमा ज्यादातर फैमिलीज में रन करता है,  मतलब किसी के दादा-दादी को या माता-पिता को या चाचा-चाची को अस्थमा (Asthma) है तो  इसकी बहुत ज्यादा सम्भावना  होती है कि यह आगे फैमिली में बच्चों को भी हो। इसे हम जेनेटिक ससेप्टिबिलिटी बोलते है। दूसरी चीज़ होती है एनवायरमेंट, जैसे घर में AC की धूल हो, कम्बल की धूल हो तो यह ट्रिगर हो सकता है। अगर किसी कि फैमिली में किसी को अस्थमा रहा हो और उनको एनवायरमेंटल ट्रिगर मिल जाता है तो उनमें अस्थमा (Asthma) डेवलप होने के चांसेस होते है।

एक होता है क्रॉनिक अस्थमा जिसमे मरीज़ को दमा की दिक्कत चल रही है लेकिन अगर उसका इलाज नहीं हो रहा तो दमा बढ़ने लगता है। कुछ लोग स्मोकिंग करने लगते हैं तो उसकी वजह से भी दमा बढ़ जाता है। वजन बढ़ने कि वजह से भी अस्थमा (Asthma)  बढ़ जाता है। मौसम बदलने के वजह से भी अस्थमा बढ़ जाता है। अस्थमा (Asthma)  होने का मुख्य कारण एक होता है जेनेटिक्स ससेप्टिबिलिटी और दूसरा होता है कि एनवायरमेंट से कोई ट्रिगर आ जाता है।

क्या अंतर है एलर्जी और अस्थमा में?

अस्थमा  (Asthma) जो होता है वो ज्यादातर केसेस में अगर हम कहें तो 70 से 80 प्रतिशत केसेस में वो एलर्जिक अस्थमा होता है और एक नॉन एलर्जिक अस्थमा भी होता है। एलर्जिक अस्थमा यूजुअली अर्ली  ऑनसेट होता है, मतलब बच्चों में चालू हो सकता है या 17-18 से 20-22 साल में, जो इन लोगों में अस्थमा की दिक्कत चालू होती है वो ज्यादातर एलर्जिक होता है। जिसकी वजह से मरीज के छींके आना, आंखों में चिरमिरी लगना, स्किन रश होना यह सब एलर्जिक अस्थमा के कारण हो सकता है। लेकिन नॉन एलर्जिक अस्थमा चालू होता 40-50 साल की उम्र के बाद। खासकर जो थोड़ा ज्यादा वजन वाली औरतें होती हैं, जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है वजन भी बढ़ने लगता है। उनमें जब 50 साल की उम्र के बाद अस्थमा चालू होता है तो उसको हम बोलते हैं  लेट ऑनसेट अस्थमा। यह ज्यादातर केसेस में बिना एलर्जी के वजह से होता है।

Asthma : दमा (अस्थमा ),  लक्षण, कारण, सावधानियां और निदान

सावधानियां और निदान

सबसे बड़ी बात है कि लोगों में जागरुकता की कमी है। जब अस्थमा का ट्रिगर होता है तभी लोग डॉक्टर के पास जाते हैं, जैसे कि हम जानते है कि अस्थमा (Asthma) की जेनेटिक टेंडेंसी होती है। अगर किसी की फैमिली में अस्थमा (Asthma) रन कर रहा है तो पहले से ही पूर्वानुमान लगया जा सकता है कि फैमिली के किसी और सदस्य को यह परेशानी होने की संभावना है तो चाहे बच्चे हो या फिर एडल्ट्स। ऐसे में उनको डॉक्टर के पास जाकर समय-समय पर सलाह लेनी चाहिए।

अमतौर पर लोग खांसी या खांसी के सांस फुलने को लेकर डॉक्टर के पास जाते हैं। डॉक्टर इवेलुएट करते हैं कि क्या ये सिंपल खांसी है या इसके पीछे कोई एलर्जी हैं। अगर एलर्जी है तो एलर्जी का टेस्ट कराया जाता है। कुछ ब्लड टेस्ट भी होते है, कुछ पैच टेस्ट होते है। जिससे पता लगाया जा सकता है कि किस कारण से उसको यह परेशानी हो रही है और  उन्हें जागरुक किया जाता है कि किन कारणों से उनको यह परेशानी हो रही है। उसी के हिसाब से उपचार किया जाता है। अस्थमा (Asthma) एक ऐसी बीमारी है जिसका इलाज हो सकता है। इसके इलाज में ज्यादातर इनहेलर दिया जाता है। इनहेलर को रेगुलर बेसिस पर या इंटरमिटेंट पर लेना होता है, इससे आपकी बीमारी कंट्रोल हो सकती है।

अस्थमा (Asthma) एलर्जिक हो चाहे नॉन एलर्जिक हो इलहेलर दोनों के लिए दिया जाता है। हालांकि इनहेलर बहुत तरीके के आते है। इसमें दवाइयां अलग-अलग हो सकती है तो कौन से तरीके का इनहेलर आपके डॉक्टर ने आपको बताया है, आपको उस तरीके से लेना चाहिए।

इसके अलावा आपको उन चीजों को अवॉइड करना है जिससे की आप को एलर्जी है, जिससे आप का अस्थमा (Asthma) बढ़ रहा हो चाहे वो फूड है, चाहे वो डस्ट है।   

क्या खाएं और क्या न खाएं

अस्थमा में क्या खाएं-

  • गुनगुना पानी पिएं।
  • गेहूं, चावल, मूंग, जौ का सेवन करें।
  • हरी पत्तेदार सब्जियों को खाने में शामिल करें।
  • लहसुन, अदरक का सेवन करें।
  • हल्दी, काली मिर्च का सेवन करें।
  • नीम, तुलसी, तेजपत्ता, पीपल के पत्तों के सेवन से लाभ।
  • शहद का सेवन फायदेमंद।
  • बादाम, अखरोट, अंजीर, किशमिश और खुबानी का सेवन करें।
  • विटामिन सी युक्त आहार खाएं।

अस्थमा में क्या न खाएं-

  • वसा वाली चीजों का सेवन कम से कम करें।
  •  फास्ट और जंक फूड से बचें।
  • ठण्डी तासीर वाली चीजों का सेवन न करें।
  • अण्डे, मछली और मांस से परहेज करें।
  • दूध, चीज़ और दही का सेवन कम करें।

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अस्वीकरण : दी गई जानकारी, उपचार के तरीके और सलाह विशेषज्ञों और सार्वजनिक डोमेन के अनुभव पर आधारित हैं। किसी भी सलाह पर अमल करने से पहले कृपया अपने डॉक्टर से सलाह लें. यह स्वास्थ्य लेख आपको स्वयं दवाएँ लेने की सलाह नहीं देता है।

By Anil Paal


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