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महिलाओं के मुकाबले, पुरुषों को Heart Attack ज़्यादा क्यों पड़ते हैं? || Mahilaon Ke Mukaabale, Purushon Ko Heart Attack Zyaada Kyon Padate Hain?

ज्यादातर लोगों का यह मानना है कि पुरूषों को महिलाओं के मुकाबले ज्यादा हार्ट अटैक (Heart Attack) पड़ते हैं। लोग ऐसा इसलिए सोचते हैं क्योंकि ज्यादातर हार्ट अटैक (Heart Attack) से जुड़ी जो खबरें हम पढ़ते हैं या सुनते हैं। उनमें पुरूषों का ही जिक्र ज्यादा होता है। सिर्फ यही नहींं WHO की एक रिपोर्ट के मुताबिक एक साल में दिल की बीमारियों से दुनिया भर में लगभग 1 करोड़ 79 लाख मौतें होती हैं और उनमें भी ज्यादातर कम उम्र के पुरूष ही शामिल हैं तो क्या वाकई पुरूषों को हार्ट अटैक (Heart Attack) या फिर दिल की दूसरी बीमारियों का रिस्क महिलाओं के मुकाबले ज्यादा होता है। इस सवाल का जवाब आज हम सेहत के इस लेख में जानेंगे । वह कौन-कौन सी बीमारियां हैं, जिनका रिस्क पुरूषों को ज्यादा है? इसके पीछे क्या कारण है? किन लक्षणों पर नज़र रखना जरुरी है? कौन से टेस्ट कब करवाने चाहिए और आखिर इन बीमारियों से बचाव, इलाज का तरीका क्या है?

क्या पुरूषों को दिल की बीमारियों का ख़तरा महीलाओं के मुकाबले ज़्यादा होता है?

जी हां, पुरूषों में दिल की बीमारियों का ख़तरा महिलाओं के मुकाबले में ज़्यादा होता है। इसके अलावा कम उम्र में दिल की बीमारियां होने का रिस्क भी महिलाओं कि तुलना में पुरूषों में ज़्यादा होता है। उन्हें महिलाओं की तुलना में 10 साल पहले बीमारियां होने का ख़तरा रहता है और इन बीमारियों की गंभीरता भी पुरूषों में महिलाओं के तुलना में ज़्यादा होती है।

पुरूषों को किन बीमारियों का ख़तरा ज़्यादा?

हार्ट (Heart) से सम्बंधित मेजर बीमारियां है, जो पुरूषों में ज़्यादा होती है। जैसे कि - 

  • हार्ट अटैक (Heart Attack) का ख़तरा।
  • हार्ट फेलियर, जिसमें हार्ट पम्पिंग कम होने का खतरा ज़्यादा होता है।
  • ब्रेन स्ट्रोक का ख़तरा।
  • शरीर की बड़ी धमनियों में ब्लॉकेज का ख़तरा भी पुरूषों में ज़्यादा होता है।

इसके पीछे क्या कारण हैं?

इसके पीछे का मुख्य कारण ख़राब जीवनशैली है। जैसे कि -

  • रोज़ एक्सरसाइज़ ना करना।
  • असंतुलित आहार लेना।
  • शुगर और ब्लड प्रेशर चेक न करना, जिससे इनका इलाज सही समय पर नहीं हो पाता।
  • सिगरेट-शराब आदि का ज़्यादा सेवन करना।
  • बहुत ज़्यादा स्ट्रेस लेना। वो चाहे काम से सम्बंधित स्ट्रेस हो या पर्सनल स्ट्रेस हो।

इन सारे कारणों के वजह से हृदय की बीमारी का ख़तरा बढ़ जाता है।

किन लक्षणों पर नज़र रखना ज़रूरी है?

मुख्य तौर पर हार्ट से सम्बंधित जो लक्षण होते हैं, उनमें -

  • सीने में दर्द होना या भारीपन होना।
  • चलने के बाद सीने में दर्द होना।
  • सांस का फूलना।
  • दिल की धड़कनें तेज़ होना।
  • अचानक से पसीना आना।
  • चक्कर आना।

यह सारे जो लक्षण होते हैं। इन पर ध्यान देना बहुत जरूरी होता है।

कौन से टेस्ट करवाने चाहिए और कब?

अगर दिल से जुड़े लक्षण महसूस हो रहे हैं तो हार्ट (Heart) का ECG और  ECHO कराना बहुत ज़रूरी है। अगर लक्षण न भी हों, तो 35 से 40 की उम्र के बाद साल में एक बार हेल्थ चेकअप ज़रूर कराएं। इस हेल्थ चेकअप में आमतौर पर ECG, 2D ECHO, ट्रेडमिल या स्ट्रेस टेस्ट किया जाता है। कुछ ब्लड रिलेटेड टेस्ट भी कराने चाहिए। जैसे कि शुगर और ब्लड प्रेशर रेगुलर चेक कराना चाहिए। कोलेस्ट्रॉल का लेवल और थायरॉइड जांचना भी ज़रूरी है।

बचाव और इलाज

बचाव और इलाज के लिए सबसे पहले अपनी जीवनशैली सुधारें। हार्ट (Heart) से सम्बंधित बीमारियों से बचने के लिए या उसको मेंटेन रखने के लिए अपनी जीवनशैली को सुधारना बहुत ज़रूरी है। जिसमें संतुलित आहार लेना, नियमित रूप से व्यायाम करना है। अपने तनाव का प्रबंधन करना बहुत ज़रूरी है। धु्म्रपान, शराब आदि के सेवन से दूर रहें या अगर आप करते हैं तो उसको रोक दें। वज़न कंट्रोल करें। शुगर और बीपी अगर है तो उसको कंट्रोल में रखें। हमेशा सकारात्मक रवैया अपनाएं।

देखिए ऐसा हरगिज नहीं है कि हार्ट अटैक (Heart Attack) केवल पुरूषों को ही पड़ते हैं या दिल की बीमारियां केवल पुरूषों को ही होती हैं। महिलाओं को भी हार्ट अटैक (Heart Attack) पड़ते हैं। दिल की बीमारियां भी होती हैं लेकिन पुरूषों में इसके मामले ज़्यादा देखें जाते हैं। अब आप चाहे पुरूष हो या महिला। दोनों को ही बताए गए लक्षणों पर ध्यान देना चाहिए। आपको समय-समय पर टेस्ट करवाने चाहिए। अगर आपको लक्षण महसूस हो रहे हैं तो बिना देर किए डॉक्टर से मिलिए।

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अस्वीकरण : दी गई जानकारी, उपचार के तरीके और सलाह विशेषज्ञों और सार्वजनिक डोमेन के अनुभव पर आधारित हैं। किसी भी सलाह पर अमल करने से पहले कृपया अपने डॉक्टर से सलाह लें. यह स्वास्थ्य लेख आपको स्वयं दवाएँ लेने की सलाह नहीं देता है।

By Anil Paal


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