भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के करिश्माई नेता और प्रेरक व्यक्तित्व के धनी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती 23 जनवरी को देश में पराक्रम दिवस (Parakram Diwas) के रुप में मवाया जाता है।
नेताजी के विचारों ने न केवल भारत को, बल्कि पूरी दुनिया को प्रभावित किया। नेताजी के विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक है, जितना स्वतंत्रता संग्राम के समय थे। सुभाष चंद्र बोस साहस, त्याग और देशभक्ति की अद्भूत मिलास हैं। ओडिशा के कटक में जन्में सुभाष चंद्र बोस की जयंती 23 जनवरी को मनाई जाती है। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय सिविल सेवा की परीक्षा पास की, लेकिन आंग्रेजी सरकार की सेवा करने से इनकार कर दिया था। बाद में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापान और जर्मनी का सहयोग प्राप्त कर आजाद हिंद फौज की स्थापना की।
तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा और दिल्ली चलो शायद ही कोई ऐसा भारतवासी हो जिसने ये नारे ना सुने हो ये नारे आज भी हम सभी के अंदर एक अलग जोश जगा देते हैं। कुछ ऐसे ही थे नेता जी सुभाष चंद्र बोस। जब भी जनमानस के बीच जाते और नारे लगाते तो देशभक्ति की एक अलग ही अलख जगा दिया करते थे।
पराक्रम दिवस
नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती को देश भर में पराक्रम दिवस के रूप में मनाया जाता है। 23 जनवरी देश के एक वीर स्वतंत्रता संग्राम सैनानी के पराक्रम को समर्पित दिन है। इसका उद्देश्य भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान को सम्मानित करना और देशभक्ति की भावना को जागृत करना है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुरमू ने इस मौके पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर पोस्ट कर कहा। नेताजी सुभाष चंद्र बोस भारत के स्वतंत्रता संग्राम में सबसे दृढ़ निश्चय और प्रेरक व्यक्तियों में से एक है। स्वतंत्रता के लिए उनके आवाहन ने लाखों भारतीयों को स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होने के लिए प्रेरित किया। स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए नेताजी का अथक दृढ़ संकल्प और आजाद हिंद फौज का उनका साहसी नेतृत्व भारतीयों की पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने भी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर देश के प्रति उनके अटूट समर्पण को याद किया। उपराष्ट्रपति ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर पोस्ट कर कहा कि भारत की स्वतंत्रता और आजाद हिंद फौज के गठन के लिए बोस का अनुकरणीय समर्पण और उनके असाधारण दृष्टिकोण और वीरता का प्रमाण है नेताजी की वीरता राष्ट्रवादी उह और भारत को विदेशी शासन से मुक्त कराने में उनके योगदान ने अनगिनत भारतीयों को प्रेरित किया है उन्होंने उम्मीद जताई कि नेताजी का अटूट समर्पण और दृढ़ संकल्प लोगों को एक मजबूत आत्मनिर्भर और एकजुट भारत के वास्ते अथक परिश्रम करने के लिए प्रेरित करता रहेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस मौके पर देश के वीर सपूत नेताजी सुभाष चंद्र बोस को नमन किया प्रधानमंत्री ने अपने मंत्रिमंडल के सहयोगियों और अन्य सांसदों के साथ संविधान सदन में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।
संविधान सदन में नेताजी सुभाष चंद्र बोस को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला समेत कई केंद्रीय मंत्रियों के अलावा राज्यसभा में नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे समेत कई और गणमान्य लोगों ने भी श्रद्धा सुमन अर्पित किए।
उड़ीसा के कटक में जन्मे सुभाष चंद्र बोस की जयंती 23 जनवरी को पराक्रम दिवस के रूप में देश भर में मनाई जाती है। उन्होंने भारतीय सिविल सेवा की परीक्षा पास की लेकिन अंग्रेजी सरकार की सेवा करने से इंकार कर दिया था। नेताजी ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में काम किया लेकिन उनके क्रांतिकारी विचारों के कारण उन्होंने खुद की अलग राह चुनी। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जापान और जर्मनी का सहयोग प्राप्त कर आजाद हिंद फौज की स्थापना की।
पराक्रम दिवस मनाने की शुरूआत
वर्ष 2021 में केंद्र सरकार ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती के अवसर पर पराक्रम दिवस मनाने की घोषणा की। इसका उद्देश्य नेताजी के जीवन और उनकी शिक्षाओं को जन जन तक पहुंचाना है। यह दिन हर भारतीय को अपने कर्तव्यों और देश के प्रति समर्पण की याद दिलाता है। 23 जनवरी को मनाए जाने वाले इस दिन का उद्देश्य ना केवल नेताजी की महानता को याद करना है बल्कि उनके आदर्शों को भी जीवित रखना है। नेताजी ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अपने अद्वितीय योगदान से ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ संघर्ष किया और भारत को स्वतंत्रता दिलाने के लिए अपनी पूरी जिंदगी समर्पित कर दी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेताजी को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि सुभाष चंद्र बोस की जीवन यात्रा की विरासत युवा भारत को नई ऊर्जा देगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश विकसित भारत के संकल्प की सिद्धि में जुटा है तब नेताजी सुभाष के जीवन से हमें निरंतर प्रेरणा मिलती है। प्रधानमंत्री ने कहा कि आज गांव हो या शहर हर तरफ आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण हो रहा है। साथ ही भारत सेना की ताकत में भी अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। उन्होनें कहा कि आज विश्व मंच पर भारत की आवाज बुलंद हो रही है।
पराक्रम दिवस कार्यक्रम 2025 के अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि नेताजी को भारत की विरासत पर बहुत गर्व था। आज भारत गुलामी की मानसिकता से बाहर आ रहा है। अपनी विरासत पर गर्व करते हुए विकास कर रहा है। नेताजी की विरासत से प्रेरणा लेते हुए केंद्र सरकार ने वर्ष 2019 में दिल्ली के लाल किले में नेताजी को समर्पित एक संग्रहालय बनाया और उसी वर्ष सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार शुरू किए। वर्ष 2021 में सरकार ने फैसला किया कि नेताजी की जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में मनाया जाएगा। इस वर्ष का पराक्रम दिवस नेताजी की जन्मभूमि पर भव्य तरीके से मनाया। कटक में नेताजी के जीवन से जुड़ी एक बहुत बड़ी प्रदर्शनी लगाई गई। जिसमें उनके जीवन से जुड़ी कई धरोहरों को एक साथ संजोया गया। कई चित्रकारों ने कैनवास पर नेताजी के जीवन प्रसंग की तस्वीरें उकेरी।
पराक्रम दिवस के मौके पर संविधान सदन के ऐतिहासिक केंद्रीय कक्ष में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। नो योर लीडर्स इस ऐतिहासिक केंद्रीय कक्ष में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, कई मंत्री गण, सांसद गण, नेतागण और कई स्कूली बच्चों ने मिलकर नेता जी को श्रद्धा सुमन अर्पित किए। नो योर लीडर्स कार्यक्रम में बच्चों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई स्कूली छात्र-छात्राओं से बातचीत भी की बच्चों ने नेताजी पर अपने वक्तव्य भी प्रस्तुत किए।
नो योर लीडर्स यानी अपने नेता को जानिए। उनका जीवन उनके आदर्श संघर्ष प्रेरणा की कहानी, आगे की राह, सकारात्मक सोच और देश समाज के लिए कुछ करने का जज्बा यही तो है किसी नेता की सही पहचान 23 जनवरी वह दिन है। जब सोच सीमाओं और विचारधारा के दायरों के पार एक नेता का जन्म हुआ था। ऐसे खास दिन देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के युवाओं के बीच पहुंचे।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस कहा करते थे कि वह लोग जो अपने देश के प्रति सदैव वफादार होते हैं वह जो अपने देश के लिए मर मिटने के लिए सदैव तैयार रहते हैं। वह सैनिक सदा अजय होते हैं। नेताजी सुभाष चंद्र बोस भी अजय हैं। आज भी वे हम सब में बसते हैं। आज भी उन्हें हम इस पूरे देश में महसूस कर सकते हैं। उनकी दी हुई प्रेरणा आज भी हमारे लिए मार्गदर्शन है। सनसनीखेज नेताजी सुभाष चंद्र बोस को नमन करता है।
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By Anil Paal
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