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Kung Fu का इंडिया कनेक्शन, क्या है Shaolin Temple की कहानी?

कहते हैं कि भारत से एक साधु चीन पहुंचा । वहां का राजा उससे मिलना चाहता था लेकिन साधु ने मिलने से इंकार कर दिया। वह ध्यान लगाए बैठा रहा । एक गुफा में जब वो ध्यान में बैठता तो नींद आती थी इसलिए उसने अपनी पलकें उखाड़ करके बर्फ में फेंक दी। इन पलकों से जमीन में पौधे उग गए और इन पौधों से पैदा हुआ वह नशा जिसे हम चाय कहते हैं। यह कहावत है। ध्यान के दौरान शरीर स्वस्थ रहे इसके लिए उस साधु ने एक विधि इजाद की, आज इस विधि को, इस आर्ट को हम कुंग फू (Kung Fu ) के नाम से जानते हैं। कुंग फू (Kung Fu) हजारों साल पुरानी मार्शल आर्ट (Martial Arts) जो शाओलिन टेंपल (Shaolin Temple) की दीवारों से कूद कर के निकली और पहले पर्दे पर छा गई। अगर आपसे पूछा जाए कि चीन के चंद एक्टर्स के नाम बताइए तो शायद आपके दिमाग में ब्रूस ली (Bruce Lee) और जैकी चैन (Jackie Chan) का नाम सबसे पहले आएगा ये सब एक्टर जाने जाते हैं मार्शल आर्ट्स की वजह से। मैट्रिक्स में ग्रेविटी को शीर्षासन कराने वाले एक्शन सीकवेंस हो या कुंग फू पांडा में धमाल मचाने वाली जानवरों की चौकड़ी। सिनेमा ने कुंग फू(Kung Fu) को पूरी दुनिया में फैला दिया। कहानी क्या है कुंग फू की, कहां, कैसे, कब और क्यों इसकी शुरुआत हुई सब जानेंगे आज के इस लेख में।

चीन का हुनान प्रोविंस यहां पर सोंग शांग नाम की एक पर्वत श्रंखला है। चीन के पांच सबसे बड़े और पवित्र माने जाने वाले पर्वतों में से एक। प्राचीन चीनी सोंग शांग को ब्रह्मांड का केंद्र मानते थे। आज यह जाना जाता है शाओलिन टेंपल (Shaolin Temple) के लिए, जिसकी स्थापना 495 ईसवी में हुई थी। शुरुआत में शाओलिन टेंपल (Shaolin Temple) को बौद्ध भिक्षुओं को शरण देने के लिए बनाया गया था और धीरे-धीरे यह चाइनीज मार्शल आर्ट्स का केंद्र बन गया। ऐसा कैसे हुआ यह ट्रांसफॉर्मेशन कैसे हुआ।

बौधिधर्म गुफा में ध्यानमग्न

कहानी यह है कि 500 ईसवी के आसपास भारत से एक बौद्ध भिक्षु जिनका नाम बौधिधर्म था। वह चीन पहुंचे, उन्होंने सम्राट जियाओ वेन से मुलाकात की। इस समय तक बौद्ध धर्म का चीन में आगमन हो चुका था। बाकायदा फाहियान जैसे चीनी यात्री भारत आकर के यहां से बौद्ध ग्रंथों को लेकर के चीन गए थे। पाली और संस्कृत भाषा के इन ग्रंथों का अनुवाद चीन में हो रहा था। सम्राट जियाओ वेन ने खुद इस काम का बीड़ा उठाया था। उनके आदेश पर शाओलिन टेंपल (Shaolin Temple) के बौद्ध भिक्षु यही काम करते थे। बौधिधर्म जब सम्राट वेन से मिले तो सम्राट उनके सामने डींगे हाकने लगे, बताने लगे कि इस तरह निर्माण मिलेगा। बोधिधर्म ने इस बात को सिरे से नकार दिया। वे सीधे शाओलिन टेंपल (Shaolin Temple) गए ताकि वहां के भिक्षुओं को असल निर्माण के बारे में बता सकें। हालांकि शाओलिन टेंपल के मुख्य मठाधीश ने बोधि धर्म को नौसिखिया समझकर अंदर घुसने से ही मना कर दिया। कहते हैं कि इसके बाद बोधिधर्म ने पास की ही एक गुफा में डेरा जमा लिया। एक दीवार की ओर मुंह करके 9 साल तक ध्यान में बैठे रहे।

इस प्रसंग से जुड़ी एक कहानी यह है कि नींद से बचने के लिए बोधिधर्म ने अपनी पलकें उखाड़कर जमीन में फेंक दी। जिससे चाय के पौधे पैदा हुए हालांकि यह कहानी मिथक मालूम पड़ती है लेकिन चूंकि चाय की शुरुआत चीन में ही हुई थी। इसलिए यह कहानी चीन और चाय के रिश्ते को दर्शाती है। बोधीधर्म की कहानी में आगे जिक्र मिलता है कि उनकी साधना से प्रभावित होकर के सम्राट वेन ने उनसे मिलने की कोशिश की लेकिन बोधिधर्म ने सम्राट की ओर ध्यान नहीं दिया। अंत में सम्राट ने अपना हाथ काट कर के उनके सामने रख दिया तब जाके बोधिधर्म उनकी तरफ मुखातिब हुए और बाकी भिक्षुओं को भी अपनी शिक्षा उन्होंने दी। अब तक शायद आपके मन में यह सवाल आ रहा होगा कि इन सब का कुंगफू से क्या लेना देना है। कुंग फू की शुरुआत इसी शाओलिन टेंपल(Shaolin Temple) में हुई थी जिसके अराउंड हम बात कर रहे हैं। दो कारणों से पहला बोधिधर्म के सिखाए अनुसार भिक्षु जब ध्यान की प्रैक्टिस करते थे तो उन्हें दिक्कत आती थी। शरीर दुखने लगता था, यह सब देखकर के बोधिधर्म ने भिक्षुओं के लिए व्यायाम के नियम बनाए। जिसमें सही तरह से सांस लेने, झुकने और शरीर की स्ट्रेचिंग पर जोर था। दूसरा कारण था कि डाकुओं और लुटेरों से सुरक्षा। उन दिनों चीन में लुटेरे बहुत हुआ करते थे और वे बौद्ध मठों में रहने वाले भिक्षुओं को निशाना अक्सर बनाते थे। क्योंकि भिक्षुओं को हथियार रखने की इजाजत नहीं होती, वे अपनी रक्षा नहीं कर सकते थे। इसलिए बौद्ध भिक्षुओं को आत्मरक्षा के कुछ तरीके सिखाए गए और यही चीजें आगे चल करके कुंग फू (Kung Fu) मार्शल आर्ट बनी।

कैसे कुंग फ़ू फला-फूला

बौद्ध धर्म के फैलने के साथ ही शाओलिन टेंपल(Shaolin Temple) का भी नाम हुआ।700 ईसवी के आसपास ये टेंपल समृद्धि के चरम पर था। 1500 भिक्षु यहां रहते थे धीरे-धीरे इने राजकीय मान्यता भी मिलने लगी। चीन के टैंग वंश के सम्राट ताई सुंग वो पहले सम्राट थे, जिन्होंने शाओलिन टेंपल(Shaolin Temple) को लड़ाकू बल तैयार करने का अधिकार दिया।

किस्सा यह है कि एक बार जब राज्य पर खतरा मंडराया सम्राट ताई सुंग ने शाओलिन योद्धाओं से मदद मांगी। 13 भिक्षु योद्धाओं ने राजा की मदद की जिसके बाद राजा ने उन्हें अपने दरबार में शामिल होने का न्योता दिया लेकिन भिक्षुओं ने यह कह कर के इंकार कर दिया कि हमारे बिना बाकी भिक्षुओं की रक्षा नहीं हो पाएगी। यह सुनकर के सम्राट ने आदेश दिया कि ऐसे 13 नहीं कम से कम 500 भिक्षु तैयार होने चाहिए जो वक्त आने पर लड़ाई कर सके। सम्राट ताई सुंग के बाद चीन में कई राजा आए गए लेकिन इस दौरान मार्शल आर्ट का विस्तार होता रहा। बीच-बीच में भिक्षुओं पर हमले भी हुए, उनके मठ भी तोड़े गए, दोबारा बनाए गए, भिक्षुओं को भागना भी पड़ा। यह सब कुछ 17वीं शताब्दी तक जारी रखा। फिर 1644 के आसपास चीन की सत्ता में एक बड़ा बदलाव हुआ। उत्तर पूर्वी चीन के इलाके मंचूरिया के लोगों का एक समूह था। जिन्हें मंचू कहते थे, उन लोगों ने राज सत्ता से दो-दो हाथ किए और चीन के मिंग वंश को उखाड़ फेंका। इसके बाद शुरुआत हुई किंग वंश की। किंग वंश के दौर में मंचू लोगों पर कई तरह की पाबंदियां लगाई गई। जैसे हथियार रखने की पाबंदी, सिविल सेवा के अवसरों पर रोक और महिलाओं की फुट वाइंडिंग, ये एक ऐसी कुप्रथा थी जिसमें लड़कियों के पैरों को तोड़ कर के, उनके आकार को बदलने के लिए कसकर बांध दिया जाता था। छोटे जूते उनको पहनाए जाते थे। मंचू लोगों ने इस उत्पीड़न से बचने के लिए शाओलिन टेंपल का सहारा लिया। मंचू लोग शाओलिन टेंपल (Shaolin Temple)में ट्रेनिंग लेने लगे। इसी ट्रेनिंग से ईजाद हुई कुंग फू (Kung Fu) की वो टेक्नीक, जिसे विंग चुन के नाम से जाना जाता है। यह टेक्नीक नजदीकी लड़ाई के लिए कारगर थी। जिसमें तेज मूवमेंट और मूव्स को तरजीह दी जाती है। इसे इस उद्देश्य के लिए विकसित किया गया था ताकि बिना ज्यादा ताकत लगाए छोटे और कमजोर लोग भी बड़े या ताकतवर विरोधी से खुद की रक्षा कर सकें। विंग चून में एकमात्र जो हथियार इस्तेमाल होता है, उसे बटरफ्लाई सोर्ड कहते हैं। छोटी सी होती है, आसानी से उसे छुपाया जा सकता है। विंग चुन टेक्नीक आगे जाकर के काफी फेमस हुई। इस टेक्नीक से जुड़ी एक लोक कथा भी है। वह आपको बताते हैं।

एक लड़की थी जो अपने पिता के साथ मिलकर के टोफू बेचती थी। एक बार जब वह बाजार में बिक्री कर रही थी उस समय एक लोकल गैंगस्टर उसकी खूबसूरती पर मोहित हो गया और उस पर जबरदस्ती शादी के लिए दबाव बनाने लगा। यह गैंगस्टर मार्शल आर्ट में माहिर था, इसलिए लड़की ने उससे छुटकारा पाने के लिए एक शाओलिन भिक्षु से मदद मांगी। साथ ही उसने फैसला लेने के लिए गैंगस्टर से 1 साल का समय भी मांग लिया। उसने गैंगस्टर से कहा कि अगर एक साल बाद वो उसे लड़ाई में हरा देगा तो वो उससे शादी कर लेगी। गैंगस्टर तैयार हो गया। लड़की ने शाओलिन मोंक के साथ ट्रेनिंग शुरू कर दी। भिक्षु ने उसे विंग चुन टेक्निक की ट्रेनिंग दी। 1 साल बाद लड़की ने गैंगस्टर के साथ फाइट की और उसको हरा दिया। इसके बाद उसने अपने ने मनपसंद लड़के से शादी कर ली। विंग चुन की ही तरह कुंगफू की एक ओर टेक्नीक है, उसको कहते हैं वेंग चुन क्वेन इससे भी एक दिलचस्प कहानी जुड़ी है।

एक शाओलिन भिक्षु हुआ करते थे। अपने दुश्मनों से लड़ने के लिए उन्हें पांच शिष्यों की तलाश थी। एक रोज वो एक नाटक कंपनी के शो में गए और उस दौरान उन्हें एक लड़का दिखाई दिया जो कद काठी में काफी मजबूत और कर्तव्य दिखाने में बहुत माहिर था। भिक्षु उसे अपना शिष्य बनाना चाहते थे लेकिन उन्होंने पहले उसकी परीक्षा लेने की ठानी। एक रोज जब नाटक कंपनी नाव में बैठ रही थी तभी शालिन मोंक, जो भिक्षु थे वो वहां हाजिर हो गए। उन्होंने नाव में चढ़ने की गुजारिश की लेकिन उनको मना कर दिया गया तो भिक्षु ने अपना एक पैर नाव पर रखा और एक नदी की लहर में जमा लिया। लाख कोशिशों के बाद भी बोट आगे नहीं बढ़ पाई तो वो लड़का जिसे शाओलिन भिक्षु अपना शिष्य बनाना चाहते थे। वो लड़का सब कुछ देख रहा था। भिक्षु की कला को देख कर के वो पहचान गया कि ये बड़े व्यक्ति हैं और वो उनका शिष्य बनने की गुजारिश करने लगा। शाओलिन मोंक ने इस तरह पांच शिष्य चुने और उन्हें कुंगफू की ऐसी टेक्नीक सिखाई जिसे एकदम गुप्त रखा गया। कुंग फू(Kung Fu) की इसी टेक्नीक को आगे चलकर के वेंग चुन क्वेन कहा गया।

कुंग फ़ू आधुनिक समय में

फिल्मों के जरिए हम ब्रूसली(Bruce Lee) और जैकी चैन(Jackie Chan) के नाम से वाकिफ हैं। कुंग फू(Kung Fu) से जुड़ा ऐसा ही एक ओर नाम है जो हॉलीवुड की वजह से फेमस हुआ है, वो नाम है इप मैन। फिल्मों में इप मैन की काल्पनिक कहानी दिखाई जाती है लेकिन असल में भी वो एक लेजेंड फाइटर थे। 19वीं सदी के चीन में एक मार्शल आर्ट टीचर हुए चैन वा अभी कुछ देर पहले ही हमने आपको विंग चुन टेक्नीक के बारे में बताया था। चैन वा इसी टेक्नीक के माहिर थे। हालांकि सिर्फ चुनिंदा स्टूडेंट्स को ही वो ट्रेनिंग देते थे। एक रोज उनके पास एक 12 साल का लड़का आया। लड़के के हाथ में एक पोटली थी और पोटली के अंदर 300 चांदी के सिक्के थे। चैन वा को लगा कि ये सिक्के लड़के ने कहीं से चुराए हैं लेकिन बाद में उन्हें पता चला कि बचपन से वह ये सिक्के जमा कर रहा था ताकि एक दिन मार्शल आर्ट्स सीख सके। चैन वा ने उसे अपना शिष्य बनाने के लिए वो तैयार हो गए और वो उनका आखिरी शिष्य साबित हुआ। इस लड़के के बाद चैन वा ने कभी किसी स्टूडेंट को स्वीकार नहीं किया। इस लड़के को ही आगे चलकर के इप मैन के नाम से जाना गया। ब्रूसली इन्हीं के शिष्य थे। ब्रूसली ने कुंग फू को एक नया आयाम दिया और मार्शल आर्ट्स की ये टेक्नीक उनके जरिए पहले पर्दे तक या जिसको हॉलीवुड कहते हैं, वहां तक पहुंची और फिर वहां से पूरी दुनिया में पॉपुलर हुई। कुंग फू पांडा, कुंग फू सॉकर, कुंग फू हसल, सेट मैक्स पर हिंदी में डब करके देखी गई ये फिल्में भारत के लिए कुंग फू (Kung Fu) का परिचय बनी। भारतीयों ने भी इसको जाना और आज भारत में भी एक शाओलिन टेंपल (Shaolin Temple)है जहां लोग मार्शल आर्ट्स सीखने जाते हैं।

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By Anil Paal  



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