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Anger Management | गुस्से पर नियंत्रण, क्या गुस्सा हमारे लिए खतरनाक होता है

आज बात एक ऐसे टॉपिक की एक ऐसे विषय की जिससे जीवन में हम सभी कई बार दो चार होते हैं। आज बात करेंगे एंगर (Anger) की, एंगर मैनेजमेंट (Anger Managemet) की यानी गुस्से की और गुस्से के मैनेजमेंट की। कहा जाता है गुस्सा वो आंधी है, जिसके आने पर बुद्धि का दीपक बुझ जाता है। महान वैज्ञानिक एल्बर्ट आइंस्टाइन ने भी ये कहा था कि क्रोध या फिर कहे गुस्सा केवल मूर्खों के ब्रह्मांड में रहता है। अपना हो या फिर पराया, छोटा हो या फिर बड़ा किसी भी व्यक्ति पर गुस्सा आना स्वाभाविक सी बात है। यह किसी भी व्यक्ति के द्वारा कभी भी किया जा सकता है। कभी-कभी किसी बात पर क्रोध आना तो कोई बड़ी बात नहीं है लेकिन बात-बात पर या फिर कहे बेवजह किसी पर गुस्सा करना एक तरह से विनाश का सूचक होता है। ऐसे क्रोध को व्यक्ति का सबसे बड़ा दुश्मन माना जाता है। जब व्यक्ति को गुस्सा आता है तो उस समय सोचने समझने की शक्ति खत्म हो जाती है। जिस क्रोध के आने पर व्यक्ति अपने जीवन में कोई भी सही निर्णय लेने में समर्थ नहीं हो पाता तो ऐसे गुस्से को आखिर नियंत्रित कैसे किया जाए, आखिर क्यों कुछ व्यक्तियों के लिए अपने गुस्से को संभालना बेहद मुश्किल हो जाता है। ज्यादा गुस्सा क्यों हमारे लिए सही नहीं है और कैसे इस पर नियंत्रण किया जा सकता है। इसे मैनेज किया जा सकता है।  

Anger Management | गुस्से पर नियंत्रण, क्या गुस्सा हमारे लिए खतरनाक होता है

क्यों गुस्सा हमारे लिए खतरनाक होता है

गुस्सा (Anger) तो सभी को आता है। गुस्सा एक इमोशन है, एक भावना है और उसको महसूस करना बहुत जायज है, क्योंकि  हमारे अंदर में बहुत सारे इमोशन महसूस होते हैं। गुस्सा उन्हीं इमोशन में से एक है। गुस्से का कहीं-कहीं उपयोग भी होता है, जैसे अगर देखा जाए कि कोई हमें हार्म कर रहा है या नुकसान पहुँचा रहा है तो उस समय पर गुस्सा आना जायज है और जरुरत भी। इस गुस्से कि वजह से ही हम अपने आप को बचाने की कोशिश करते है। गुस्सा एक ऐसा इमोशन है जो हमें एनर्जाइज कहता है एक एक्शन लेने के लिए जब हम दव जाते है। इसलिए गुस्से का उपयोग भी है लेकिन जब हम इस गुस्सा को हमारी सोच के साथ मिला लेते है, जिसकी वजह से हम गलत निर्णय लेते हैं। जब इंपल्सिव विचारों के कारण हम गलत निर्णय तो उस समय हमारे एक्शन में आक्रमता दिखाई देगी। तब शायद गुस्से की सीमा हम पार कर देते है। 

जब आप गुस्से में है और कोई व्यक्ति आप से बात करें तो आप उस पर गुस्सा करेंगे या किसी कारण से गुस्से में है लेकिन आपका रोज़ का काम-काज ठीक से चल रहा है तो ज्यादा दिक्कत की बात नहीं है। अगर आप का गुस्सा इतना बढ़ जाए की आप अपना रोज़ का काम-काज ठीक से न कर पाऐं तो यह गुस्सा आपके लिए खतरनाक हो सकता है। ऐसे में शारीरिक नुकसान भी होने लगता है क्योंकि काम ठीक से न हो पाने के कारण आप ठीक से न तो सो पाऐंगे और न ही खा पाऐं। जब यह गुस्सा सीमा पर कर देता है तो आप गलत निर्णय लेने लगते है और गलत कदम उठाने लगते है। इस तरह का गुस्सा आपके और सोसाइटी दोनों के लिए खतरनाक है।

आखिर क्या है गुस्सा

गुस्सा (Anger) अपने आप में एक व्यवहारिता को दिखाता है। व्यवहर के लिए दो लिए दो चीजें बहुत जरूरी होती हैं, एक आपका विचार और दूसरा आपका भाव । जब विचार और भाव मिल जाते हैं और उस पर हमारा कंट्रोल खत्म हो जाए तो उस व्यवहार को व्यक्त करते समय हमारा हमारे बुद्धि पर से कंट्रोल खत्म हो जाता है। इसको आप ऐसे सोचिए आज के जमाने में कि सीने में जलन आंखों में तुफान सा क्यों है, इस शहर में हर शक्स परेशान सा क्यों है। हर आदमी सीने में जलन और आंखों में एक तूफान लेकर घूम रहा है। हर कोई एंबिशियस है। हर कोई कुछ न कुछ हासिल करना चाहता है। ऐसे में जब हम अपने आप को कम पाते हैं उन चीजों के अंदर तो हम अपनी उन भावना को प्रकट करने के लिए एक गुस्से का सहारा ले लेते हैं।

अगर आप डॉक्टर से पूछेंगे कि डॉक्टर साहब गुस्से की दवा क्या है वो कहेंगे गुस्से की तो कोई दवा है ही नहीं, लेकिन व्यक्ति को गुस्सा क्यों आ रहा है और वह किस प्रक्रिया से गुजर रहा है। यह जानना वेहद जरूरी है। चिड़चिड़ाहट, क्रोध और आक्रोश यह गुस्से की अलग-अलग सीमाएं हैं। पहले चिड़चिड़ाहट होंगा फिर मुझे थोड़ा सा क्रोध आएगा फिर हम आक्रोश में चले जाऐंगे फिर हम इतना क्रोधित हो जाऐंगे कि अब हमें यह नहीं पता लगेगा कि हमारे शरीर के द्वारा क्या एक्टिविटी हो रही है। हम गुस्से को हटा नहीं सकते यदि हमने गुस्से को हटा दिया तो हमारा बहुत सी स्थितियों में काम करना बहुत मुश्किल हो जाएगा क्योंकि कभी यह प्रोडक्टिव भी होता है। हम गुस्सा करें, कितना करें, कब करें यह हमारी मानसिक स्थिति पर निर्भर करता है। लेकिन कभी-कभी कुछ ऐसी बीमारियां भी हैं जो हमें गुस्से के रूप में ही पहले दिखती है। सिर दर्द होना, बदन दर्द होना, चिड़चिड़ाहट होना, गुस्सा होना या भूख का कम लगना अगर हम देखें तो लगभग हर बीमारी के लक्षण यही होते हैं तो जब इस तरह का बदलाव हम अपने में या अपने रिश्तेदार में महसूस करते हैं तो हमें उस पर एक बार बोलना चाहिए कि एक बार जरा सोचो तो सही ये क्यों गुस्सा कर रहे हैं। 

गुस्से में विवेक का खोना और उस विवेक को खोने से वह कितनी देर तक आप गुस्से को कर रहे हैं, वो अपने आप में तो एक बीमारी है ही और स्वतः और बीमारियों को भी इनवाइट कर लेता है तो गुस्सा एक दोधारी तलवार है। आप यह मत सोचिए गुस्सा करके हम दूसरों को नुकसान पहुंचा रहे है बल्कि उससे पहले हम अपने आप को गुस्सा करके नुकसान पहुंचा रहे हैं और फिर उसको सामने दिखा रहे है।

क्या एंगर और अग्रंशन अलग है

एंगर यानी गुस्सा एक इमोशन (भावना) है और अग्रंशन यानी आक्रोश एक बिहेवियर है। ज्यादातर आग्रेसन या एंगर के पीछे देखा जाए तो बहुत दुख, डिसरिस्पेक्ट, वर्थलेस यह सब जुड़ा हुआ है। अगर हमें गुस्से को समझना है, गुस्से को मैनेज करना है तो इसके यह जानना जरूरी है कि उसकी जड़ कहा पर है। जिसकी वजह से गुस्सा आ रहा है।

छोटे बच्चों में गुस्से का ज्यादा बढ़ना

आज का यह दौर इंटरनेट और मोबाइल फोनस का है। इंटरनेट पर हम सब बहुत सारे कंटेंट देखते है और उस कंटेंट में कई बार ऐसा कंटेंट बच्चे देखने लग जाते है जो कि उनके गुस्से वाले भाव को ट्रिगर करता है। बच्चे उस उम्र यह कंटेंट देखते है जिस उम्र में वह अभी परिपक्व नहीं हुए और इसमें पेरेंट्स, उनके टीचर्स, उनके आस पास जितने भी एडल्टस हैं उनका रोल बड़ा इंपॉर्टंट है कि वह क्या कंटेंट देख रहे हैं। हमें भी समझना चाहिए कि अब वो जमाना नहीं है कि आप उनको हाथ से मारे। आप अपना गुस्सा वॉइस में, आंखों से, बॉडी लैंग्वेज से दिखा सकते है जिससे की उनको समझ में आना चाहिए कि आप गुस्से में हैं और उनको अपने आप को कंट्रोल करना जरूरी है। अगर आप उनको मारते हैं या उनको ब्यूज करते हैं तो उनका गुस्सा और ज्यादा बढ़ता है और वो फिर आगे जाकर सेम बिहेवियर आपको रिपिट करेंगे। एक उम्र के बाद वो आपको एब्यूज करेंगे और कई बार आजकल हम ये पढ़ते या सुनते हैं कि बच्चे अपने पेरेंट्स को हर्ट कर रहे हैं या मार रहे हैं। आज कल 5 साल का बच्चा भी इतना कंटेंट अब्जॉर्ब कर रहा है जो पहले शायद नहीं था। यहां पर पेरेंट्स का रोल बढ़ जाता है कि हम उसको सही डायरेक्शन में लेके जाएं। पेरेंट होने के नाते बच्चों पर गुस्सो होना आपके लिए जरूरी है, अगर वह गलत डायरेक्शन में जा रहे हैं।

एंगर मैनेजमेंट (Anger Management)

जब ईर्ष्या आपकी आत्मा तक को जलाना शुरु कर दे तो समझ लीजिए कि वो गुस्से में आप उसको कन्वर्ट कर रहे हैं और गुस्सा आपके अंदर बढ़ रहा है। हम कहते हैं कि आप थोड़े इमोशनल ज्यादा हैं या आप दिल से ज्यादा सोचते हैं दिमाग से कम सोचते हैं तो आप देखेंगे गुस्सा उनको ज्यादा डैमेड करता है। जितने ज्यादा इमोशनल होंगे उतना ज्यादा आपको गुस्सा आएगा और गुस्सा आपको डैमेज करेगा। लेकिन वही आप थोड़ा सा अपना दिमाग या अपना मानसिक संतुलन बना के रखेंगे तो आप उस गुस्से को कंट्रोल कर सकते हैं। गुस्सा सबको आता है लेकिन आपको समझना है कि गुस्सा उतना करें जितना कंट्रोल हो सकता है।

गुस्से को कंट्रोल करने के टिप्स

  • 24 घंटे में जब भी आपको टाइम मिलता है तो 15 मिनट या आधा घंटा आप मेडिटेशन करें।
  • चाहे तो आप म्यूजिक सुन सकते है।
  • ज्यादा गुस्सा आए तो टहलने निकले जाए।
  • जब भी गुस्सा आए थोड़ा सा धैर्य रखिए लाइफ इजी हो जाएगी।
  • गुस्सा आ रहा है ठीक है आना चाहिए लेकिन अपनी इंद्रियों को उस टाइम समझिए और कंट्रोल रखिए।
  • साकारात्मक पक्ष देखने की कोशिश करें।
  • किसी दोस्त से बात करें।

कई बार लोग स्ट्रेस या गुस्से में काफी सारी चीजें खाते है। इससे अपनी हेल्थ खराब कर लेते हैं, एडिक्शन की तरफ जाते हैं जिसमें एल्कोहोलिज्म, स्मोकिंग और कई सारी ड्रग के एडिक्ट हो जाते है। हमारी इंद्रियां अगर इनको कंट्रोल करना सीख गए गुस्से के साथ-साथ तो गुस्सा हमारे और हमारे रिलेशनशिप्स को डैमेज करना कम कर देगा। गुस्सा वहां पर करिए जहां जरूरत है, अगर आपको सोसाइटी में कुछ गलत दिख रहा है आप गुस्सा करिए, आपको अपने घर में अपने, अपने कर्म क्षेत्र में कहीं पर भी कुछ गलत दिख रहा है आप गुस्सा करिए। ऐसा नहीं है कि गुस्सा नहीं करना है, गुस्से को मैनेज करना है, उसको चैनलाइज करना है। सबसे बेस्ट तरीका है अपने आप पर गुस्सा करिए तो शीशे में खड़े होके जो भी करना है अपने आपको बोलिए। यह अपने गुस्से को निकालने का अच्छा तरीका है। कहा जाता है कि अपने आप पर गुस्सा करने से खुद को बदलने की भावना भी पैदा होती है जो बहुत कम लोग कर पाते हैं।

गुस्से को कैसे जाहिर किया जाए

एंगर यानी गुस्सा जितना हम अपने अंदर रखेंगे बिना एक्सप्रेशन तो वो बढ़ता जाएगा और उसके बाद यह गुस्सा एक दिन जब बाहर निकलेगा तो लोगों को यह गुस्सा दिखता है। वह यह नहीं देखते कि बहुत समय से अंदर ही अंदर वह एंगर जमा हो रहा था। इसलिए गुस्से को जाहिर करना बहुत जरूरी है। सबसे पहले हमें यह जानना है कि जो गुस्सा हम कर रहें है वह किस तरह से हमारे लिए सही है या नहीं है। हम कैसे, कितना, उस चीज़ को व्यक्त कर पाए। अगर किसी ने कोई गलती की हमें गुस्सा आ रहा है लेकिन हम उसे सरल भाव से समझा रहे है कि उसने गतली की है तो वो ही मेन चीज़ है कि जो हमारे अंदर की भावना है हम सेफली किसी को बता पा रहें हैं, जिसको बता रहे हैं वह सुन रहे हैं और वह समझ रहे हैं। गुस्से को जाहिर करना बहुत ही जरूरी है अगर आप को किसी वजह से गुस्सा आ रहा है तो आपको किसी के साथ उस पर चर्चा कर लेनी चाहिए। अगर आप किसी के साथ गुस्से को जाहिर न करने की वजाय उसे अंदर ही अंदर जमा करते रहेंगे तो यह गुस्सा आपको अंदर ही अंदर डैमेज करता रहेंगा। इस लिए आपने एंगर को जरूर जाहिर करें लेकिन अपने आप को कंट्रोल में रख कर।

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अस्वीकरण : दी गई जानकारी, उपचार के तरीके और सलाह विशेषज्ञों और सार्वजनिक डोमेन के अनुभव पर आधारित हैं। किसी भी सलाह पर अमल करने से पहले कृपया अपने डॉक्टर से सलाह लें. यह स्वास्थ्य लेख आपको स्वयं दवाएँ लेने की सलाह नहीं देता है।

By Anil Paal


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